Wednesday, June 24, 2020

कलियुग के जीवित देवता श्री हनुमानजी :( सर्वसिद्ध-मंत्र)


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कलियुग में हनुमान जी सबसे प्रभावशाली देवता माने जाते हैं। मान्यता है कि किसी भी देवी देवता की अपेक्षा हनुमान जी जल्दी ही दुखियों की बात सुनते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी आज भी इस दुनिया में सदेह उपस्थित हैं तथा राम भक्ति लीन हैं। ऐसा कहा जाता है कि मनोकामना दाम्पत्य सुख, शिक्षा-दीक्षा, नौकरी प्रमोशन, शनि दोष से ग्रस्त जातकों के समस्या निवारण में हनुमान जी की आराधना के अलावा कोई अन्य चारा नहीं है। जो साधक पूर्ण श्रद्धा, आस्था एवं लगन के साथ श्री हनुमान जी का जप, पूजा-पठन आदि कुछ भी करते हैं, उनको समस्त सुखों की प्राप्ति होती ही होती है, इसमें लेश मात्र भी संशय नहीं है।
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हनुमानजी की पूजा विधि, मंगलवार व्रत
वैदिक ग्रंथों के अनुसार, मंगलवार का दिन अत्यधिक मंगलसूचक और अनुकूलता लिए हुए है। इस दिन राम भक्त हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। संकटमोचन अपने भक्तों के हर संकट को हर लेते हैं। *साधना से एक दिन पहले और एक दिन बाद तक ब्रम्हचर्य रखें। *निरामिष रहें, अर्थात मांस, मदिरा का भक्षण न करें। *सर्व सुख, ग्रह शांति व रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति हेतु मंगलवार का व्रत उतम है! *इस व्रत मे गेहू और गुड़ का ही भोजन करे! *भोजन दिन रात मे एक बार ही भोजन ग्रहण करना करे। *लगातार व्रत २१ हफ्तो तक रखे। *इस व्रत से मनुष्य के सभी दोष नष्ट हो जाते है यदि शुद्ध मन से विधि विधान से करे! *व्रत व पूजन के समय लाल पुष्पो को चडावे और लाल वस्त्र धरण करे! *अंत मे हनुमान जी की पूजा करें और मंगलवार की कथा सुनें! *क्षमा-प्रार्थना मंत्र- मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर। यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे।।
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हनुमत पूजन समर्पण मंत्र
*सुवर्णपुष्प समर्पण मंत्र- वायुपुत्र! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम्। पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न - समुज्जलम्।। *ऋतुफल समर्पण मंत्र- फ़लं नानाविधं स्वादु पक्वं शुद्धं सुशोभितम्। समर्पितं मया देव गृह्यतां कपिनायक।। *सिन्दूर समर्पण मंत्र- दिव्यनागसमुद्भुतं सर्वमंगलारकम्। तैलाभ्यंगयिष्यामि सिन्दूरं गृह्यतां प्रभो।। * पुष्पमाला समर्पण मंत्र- नीलोत्पलैः कोकनदैः कह्लारैः कमलैरपि । कुमुदैः पुण्डरीकैस्त्वां पूजयामि कपीश्वर।। *पँचामृत समर्पण मंत्र- मध्वाज्य - क्षीर - दधिभिः सगुडैर्मन्त्रसन्युतैः। पन्चामृतैः पृथक् स्नानैः सिन्चामि त्वां कपीश्वर।। *अर्घ्य समर्पण मंत्र- कुसुमा-क्षत-सम्मिश्रं गृह्यतां कपिपुन्गव। दास्यामि ते अन्जनीपुत्र | स्वमर्घ्यं रत्नसंयुतम्।। *पाद्य समर्पण करना चाहिए- सुवर्णकलशानीतं सुष्ठु वासितमादरात् । पाद्योः पाद्यमनघं प्रतिफ़गृह्ण प्रसीद मे।। *आसन समर्पण मंत्र- नवरत्नमयं दिव्यं चतुरस्त्रमनुत्तमम्। सौवर्णमासनं तुभ्यं कल्पये कपिनायक।।
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जब अपने ही हो जायँ शत्रु...?
व्यक्ति जब प्रगति करता है, तो उसकी प्रगति से जल कर उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वही उसके मार्ग को अवरूद्ध करने लग जाते हैं। ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। * ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रात:काल सात बार बजरंग बाण का पाठ करें। * हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं। * पांच लौंग पूजा स्थान में देशी कपूर के साथ जलाएं। * फिर भस्म से तिलक करके बाहर जाए। #यह प्रयोग जीवन में समस्त शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होगा, वहीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करने में सक्षम होंगे
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क्या करें?
-सवेरे स्नान के बाद श्रीहनुमान मंदिर या शनि मंदिर में स्थित श्रीहनुमान की प्रतिमा को सिंदूर, तेल, फूल, अक्षत, जनेऊ व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ सुख-समृद्धि की कामना से बोलें - ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमन: कल्पना-कल्पद्रुमाय दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभंजन-प्राप्रियाय महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधन-धान्यादि विविधसम्पतप्रदाय रामदूताय स्वाहा - मंत्र स्मरण के बाद श्रीहनुमान की गुग्गल धूप व दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें।
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'बजरंग बाण' बचाता है आपको और शत्रुओं का करता है विनाश
यदि आप सच्चे हैं तो श्री बजरंग बाण आपको बचाता है और शत्रुओं को दंड देता है। बजरंग बाण से शत्रु को उसके किए की सजा मिल जाती है, लेकिन इसका पाठ एक जगह बैठकर अनुष्ठानपूर्वक इक्कीस दिन तक करना चाहिए और हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि हनुमानजी सिर्फ पवित्र लोगों का ही साथ देते हैं। इस पाठ से २१ दिन में तुरंत फल मिलता है।
7

चमत्कारी है 'हनुमान चालीसा'
#गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस लिखने से पहले हनुमान चालीसा लिखी थी और फिर हनुमान की कृपा से ही वे श्रीरामचरित मानस लिख पाए। *नित्य सुबह और शाम हनुमान चालीसा पढ़ने वाले को कभी कोई व्यक्ति बंधक नहीं बना सकता। *उस पर कारागार का संकट कभी नहीं आता। यदि किसी व्यक्ति को अपने कुकर्मों के कारण कारागार (जेल) हो गई है, तो उसे संकल्प लेकर क्षमा-प्रार्थना करना चाहिए और आगे से कभी किसी भी प्रकार के कुकर्म नहीं करने का वचन देते हुए हनुमान चालीसा का एक सौ आठ बार पाठ करें। हनुमानजी की कृपा हुई तो कारागार से ऐसे व्यक्ति मुक्त हो जाते हैं।
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अद्भुत है 'हनुमान बाहुक' का पाठ
यदि आप गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का २६ या २१ दिनों तक मुहूर्त देखकर पाठ करें। प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें। हनुमान जी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी।
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हर तरह का भय मिटायें- 'हं हनुमंते नम:'
यदि आप अंधेरे, भूत-प्रेत से डरते हैं या किसी भी प्रकार का भय है तो आप 'हं हनुमंते नम:' का रात को सोने से पूर्व हाथ-पैर और कान-नाक धोकर पूर्वाभिमुख होकर एक सौ आठ बार जप करके सो जाएं। कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे आप में निर्भीकता का संचार होने लगेगा।
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कैसे हो गृह कलह से हो मुक्ति?
प्रति मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर गुड़ और चना अर्पित करें और घर में सुबह-शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें। पाठ करने के पहले और बाद में आधे घंटे तक किसी से बात न करें। जब इक्कीस दिन पूरे हो जाएं तो हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। हनुमान जी तुरंत ही घर में सुख-शांति कर देंगे।
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यदि शनि ग्रह से हैं परेशान ?
हनुमान जी की जिस पर कृपा होती है, उसका शनि और यमराज भी बाल बांका नहीं कर सकते। आप शनि ग्रह की पीड़ा से छुटकारा पाना चाहते हैं कि प्रति मंगलवार हनुमान मंदिर जाएं और शराब व मांस के सेवन से दूर रहें। इसके अलावा शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। इससे शनि ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी।
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चमत्कारिक शाबर मंत्र
ये दो शाबर मंत्र आपके जीवन के सभी संकटों और कष्टों को तुरंत ही चमत्कारिक रूप से समाप्त करने की क्षमता रखते हैं। १) साबर अढाईआ मंत्र :- "॥ ॐ नमो आदेश गुरु को, सोने का कड़ा, तांबे का कड़ा हनुमान वन्गारेय सजे मोंढे आन खड़ा ॥" २) शाबर मंत्र :- "ॐ नमो बजर का कोठा, जिस पर पिंड हमारा पेठा। ईश्वर कुंजी ब्रह्म का ताला, हमारे आठो आमो का जती हनुमंत रखवाला।"
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इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान
बुंदेलखंड के प्रसिद्ध आचार्य पंडित रवि शास्त्री भी मानते है मंत्र की शक्ति से हनुमान जी को महसूस किया जा सकता है। यह चमत्कारिक मंत्र है- "कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु, निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु।।"
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महामारी, अमंगल, ग्रह-दोष एवं भूत-प्रेतादि नाश हेतु-
१) " ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकल भीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।" "प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन। जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।" २) ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रौं ह्रः ॐ नमो भगवते महाबलाय-पराक्रमाय भूतप्रेतपिशाची ब्रह्मराक्षस शाकिनी-डाकिनी यक्षिणी पूतनामा-रीमहामारीराक्षस भैरववेतालग्र ॐ हराक्षसादिकान् क्षणेन हन हन भंजन भंजन मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामाहेश्वर रुद्रावतार ॐ ह्रं फट् स्वाहा। ॐ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्वदुष्टजन मुखस्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा। ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ठं ठं ठं फट् स्वाहा।
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शत्रु मुक्ति और अपनी रक्षा एवं यथेष्ट लाभ हेतु-
# शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए- "ॐ पूर्वकपिमुखाय पंचमुखहनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रुसंहरणाय स्वाहा ।" इस मंत्र के सिद्ध कर लेने पर शत्रु भय दूर हो जाता है। यह मात्र १५,००० मंत्र जप से सिद्ध हो जाता है! # अपनी रक्षा और यथेष्ट लाभ हेतु - "अज्जनागर्भ सम्भूत कपीन्द्र सचिवोत्तम। रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा।।"
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मुक़दमा, धन-सम्पत्ति और कार्य-सिद्धि
१) मुकदमे में विजय प्राप्ती के लिए - "पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।" २) धन- सम्पत्ति प्राप्ति हेतु - मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन । शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो।। ३) किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए - "ॐ हनुमते नमः!"
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हनुमान चालीसा का सिद्ध प्रयोग
हनुमान चालीसा के सिद्ध प्रयोग से विपरीत परिस्थितियां अनुकूल होने लगती हैं। *इसके लिए, मंगलवार का दिन चुनें। *आसन, पुष्प, प्रसाद, वस्त्र आदि लाल रंग का रखें। *यदि राम मंदिर में सुविधा हो तो सबसे अच्छी बात है, न हो तो घर में ही राम दरबार का चित्र स्थापित करें। *सर्वप्रथम राम-जानकी को अपनी पूजा अर्पित करें। *ध्यान रखें जिन्हें राम-वैदेही प्रिय नहीं उन्हें वह शत्रुवत मानते हैं। *धूप, चमेली के तेल का दीपक, नवेद्य, चमेली के तेल में मिश्रित सिंदूर अर्पित करें। *तत्पश्चात हनुमान जी की छवि पर ध्यान केंद्रित करें। *हाथ में जल लें, अपना नाम उच्चारित करते हुए अपनी मनोकामना कहें तथा सौ बार हनुमान चालीसा पाठ का संकल्प लें। *अब पाठ प्रारंभ करें। प्रत्येक बार पाठ सम्पन्न होने पर उन्हें पुष्प अर्पित करें। *एक ही आसन में सौ पाठ पूर्ण करने के उपरांत प्रसाद वितरित करें तथा स्वयं भी खाएं। यह एक सरल साधना है, कोई भी कर सकता है। इसे त्वरित प्रभाव उत्पन्न करने वाला माना जाता है।
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सर्व व्याधि, भय, प्रोपर्टी सम्बंधित परेशानी हेतु-
# सर्वव्याधि व भय दूर करने हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रतन्त्रत्राटकनाशकाय सर्वज्वरच्छेदकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय सर्वदुष्टमुखस्तंभनाय सर्वकार्यसिद्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा। # प्रॉपर्टी से जुड़ी परेशानी के लिए- *मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर जाकर चालीसा का पाठ करें। *बूंदी या लड्डू का भोग लगाएं। *मंदिर में हनुमान जी के सामने बैठकर "ॐ मारकाय नमः!" मंत्र का जाप करें।
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नौकरी या जॉब संबंधित समस्या
*बूंदी के नौ लड्डू अर्पित करें। *पीपल के पत्ते पर केसरी रंग के सिंदूर से अपनी समस्या लिखकर हनुमान जी के चरणों में रखें। *उसी स्थान पर हनुमान जी के विशेष मंत्र ॐ पिंगाक्षाय नमः का जाप करें।
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प्रतिष्ठा और शोहरत हासिल करने के लिए
*जब मंदिर जाएं तो हनुमान जी से पहले श्री सीताराम मंदिर को प्रणाम करें। *फिर हनुमान मंदिर में बैठे और इस मंत्र का जाप करें। "ॐ व्यापकाय नमः!" *विशेष- नौ मंगलवार तक इस विधि से मंदिर जाएं और मंत्र का जाप करें।
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हनुमान जी के ये छः मंत्र हर लेंगे सभी दुख-दर्द...?
*पहला मंत्र- ॐ तेजसे नम:! *दूसरा मंत्र- ॐ प्रसन्नात्मने नम:! *तीसरा मंत्र- ॐ शूराय नम:! *चौथा मंत्र- ॐ शान्ताय नम:! *पांचवां मंत्र- ॐ मारुतात्मजाय नमः! *छठा मंत्र- ऊं हं हनुमते नम:! -मंगलवार की शाम 5 बजे के बाद इन मंत्रों की कम से कम एक माला अवश्य करें। घोर से घोर संकट टलेंगे, कष्ट कटेंगे।
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विष उतारने हेतु-
"ॐ पश्चिममुखाय गरुडाननाय पंचमुखहनुमते मं मं मं मं मं सकलविषहराय स्वाहा।" यह मंत्र दीपावली के दिवस अर्धरात्रि में दीपक जलाकर हनुमान जी को साक्षी करके १०,००० जप लेने से सिद्ध हो जाता है। पुनः बिच्छू, बर्रै आदि बिषधारी जीवों द्वारा काटने पर इस मंत्र को उच्च स्वर से उच्चारण करते हुए उस अंग का स्पर्श करें जहां जीव ने काटा है। कई बार ऐसा करने पर विष उतर जाता है।
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शारिरिक वेदना, ज्वर और जादू टोना दूर करने हेतु-
# जादू टोना का असर दूर करने हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय डाकिनीशाकिनीब्रह्मराक्षसकुल पिशाचोरुभयं निवारय निवारय स्वाहा। # ज्वर दूर करने हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय भूतज्वरप्रेतज्वरचातुर्थिकज्वर विष्णुज्वरमहेशज्वरं निवारय निवारय स्वाहा। # शारीरिक वेदन कष्टनिवृत्ति हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय अक्षिशूलपक्षशूल शिरोऽभ्यन्तर शूलपित्तशूलब्रह्मराक्षसशूलपिशाचकुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।
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सकल संपत्ति और वशीकरण हेतु-
# सकल विघ्न निवारण हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चवदनाय पश्चिममुखे गरुडाय सकलविघ्ननिवारणाय रामदूताय स्वाहा। # सकल सम्पत्ति हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चमुखाय उत्तरमुखे आदिवराहाय सकलसम्पत्कराय रामदूताय स्वाहा। # सकल वशीकरण हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय ऊर्ध्वमुखे हयग्रीवास सकलजन वशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
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# शत्रु की कुबुद्धि को ठीक करने हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सव्रग्रहान् भूतभविष्यद्वर्तमानान् समीपस्थान सर्वकालदुश्टबुद्धीनुच्चाटयोच्चाटय परबलानि क्षोभय क्षोभय मम सर्वकार्याणि साधय साधय स्वाहा। # सर्वविघ्न व ग्रह भय निवारणार्थ- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय परकृतयन्त्रमन्त्र पराहंकार भूतप्रेत पिशाचपरदृष्टिसर्वविघ्नतर्जनचेटकविद्यासर्वग्रहभयं निवारय निवारय स्वाहा।
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सर्व मनोकामना, धन-धान्य पूर्ति ,हेतु-
# सर्वरुपेण कल्याणार्थ- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवर्षि मुनिवरदाय रामदूताय स्वाहा। # धन-धान्य आदि सम्पदा प्राप्ति हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं दुष्टमनोरथस्तंभनाय प्रभंजनप्राणप्रियाय महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्र धनधान्यादि विधिसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा। # स्वरक्षा हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रमुखाय वज्ररोम्णे वज्रदन्ताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
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सूर्य प्रसन्नता, शत्रु विजय, सर्व दुःख निवारण हेतु-
१) सूर्य की प्रसन्नता व यश-कीर्ति हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा। २) शत्रु पराजय हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा। ३) शत्रु पर विजय तथा वशीकरण हेतु- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। ४) सर्वदुःख निवारणार्थ- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक तापत्रय निवारणाय रामदूताय स्वाहा।
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हनुमत मंत्र जप नियम
वाचिक, उपांशु अथवा मानसिक कोई भी जप जो इच्छापूर्ति हेतु कर रहे हैं, तो उसके लिए ब्रह्मचर्य, सद्विचार अत्यन्त आवश्यक हैं। मंत्र जप के साथ यदि नैवेद्य, पुष्प तथा सिंदूर के चोले से देव को प्रसन्न करने का यत्न करते हैं, तो फल की प्राप्ति अत्यंत शीघ्रता से प्राप्त होती है। मंत्र जप के उपरांत उस मंत्र का दशांश संख्या में हवन कर लेने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। मुख्य बात श्री हनुमानजी के प्रति समर्पण, पूर्ण निष्ठा के साथ स्वयं का अर्पण है, जो हमारी साधना की गुणवत्ता, सुद्धता, सम्पन्नता, आदि निर्धारित करता है। हमारे मनोभाव सर्वथा शुद्ध होने चाहिए। साथ ही विश्व कल्याण सर्वोपरि हो तो सर्वोत्तम।
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राशि अनुसार हनुमान-मंत्र - ) मेष एवं वृश्चिक
मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं। जीवन को मंगलमय बनाने इस राशि के जातक 'ॐ अं अंगारकाय नमः' मंत्र का जाप करें। साथ ही साथ हनुमान जी का दिव्य मंत्र 'मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥' जप करें। सुख-समृद्धि और सेहत से जुड़ी आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।
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राशि अनुसार हनुमान-मंत्र - वृष, तुला, मिथुन, कन्या
२) वृष और तुला - वृष और तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। इस राशि से जुड़े जातकों को मारुतिनंदन का आशीर्वाद पाने के लिए 'ॐ हं हनुमते नम:।' मंत्र का जप करें। श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का जप करने से निश्चित रूप से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी। ३) मिथुन और कन्या- मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध हैं। इस राशि के जातकों को संकटों से मुक्ति और सफलता के लिए हनुमान जी को शीघ्र प्रसन्न करने वाला सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। यदि प्रतिदिन पाठ न संभव हो तो ''अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥'' मंत्र का नित्य जाप करें।


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Sunday, June 7, 2020

The Mumbai City (मुंम्बई शहर)

Mumbai City: -
Mumbai is known as a city that never sleeps. The capital of Mumbai is Maharashtra. The old name of Mumbai is Bombay. It is surrounded by sea on all three sides. It is located in Western India. Mumbai is famous all over the country for clothes, chemicals and for the film world. Mumbai is the largest film making center in India.

                             It is also known as Bollywood. Mumbai is a self dependent city. People of many religions, caste, creed live here. People of Mumbai use many languages ​​Hindi, Marathi, Konkani and English. Bhel-puri and Paw-Bhaji are famous all over Mumbai. Here Ganesha Chaturthi is celebrated with great pomp and show.


                       Mumbai receives heavy rainfall during June, July and August. Kalbadevi and Bhuleshwar Bazaar in Mumbai are worth visiting. Thousands of tourists visit Mumbai every year from October to March for winters. It is an attractive city. There are many such amazing places here which keep attracting the whole world to themselves. People from every corner of India come here to fulfill their dream and after achieving success they start doing their work

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मुंम्बई शहर :-

मुम्बई एक ऐसे शहर के  नाम से जाना जाता है, जो कभी सोता नहीं हैं।  मुम्बई की राजधानी महाराष्ट्र है।  मुंबई का पुराना नाम बॉम्बे हैं।  यह तीनो तरफ से समुन्द्र से घिरा हुवा हैं।  यह पश्चिम भारत में स्थित है।  मुंबई कपड़ो के लिए, रसायनो के लिए, और फ़िल्मी दुनिया के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं।  
                       मुंबई भारत में फिल्म बनाने का सबसे बड़ा केंद्र हैं।  इसे बॉलीबुड के नाम से भी जाना जाता हैं।  मुंबई एक सर्बभौम शहर हैं।  यहाँ कई धर्म, जाति, संप्रदाय के लोग रहते हैं।  मुंबई के लोग हिंदी, मराठी, कोंकणी, अँग्रेजी कई भाषाओ का प्रयोग करते हैं। भेलपुरी और पाँव भाजी मुंबई भर में प्रसिद्ध हैं।  यहाँ गणेश चतुर्थी बहुत  धूम-धाम से मनाया जाता हैं।  मुंबई में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान भारी बारिश होती हैं।  मुंबई में कालबादेवी और भुलेश्वर बाजार घूमने योग्य हैं।  मुंबई में अक्टूबर से मार्च के बीच सर्दियों में घूमने के लिए हजारो पर्यटक प्रत्येक वर्ष आते हैं।

                      यह  एक आकर्षिक शहर हैं।  यहाँ पर अनेक ऐसे अदभुत नज़ारे हैं जो पुरे दुनिया को अपने तरफ आकर्षित करता रहता  हैं।  यहाँ पर भारत के कोने कोने से लोग अपना सपना पूरा करने के लिए आते हैं और सफलता प्राप्त करने के बाद अपना काम करने लगते हैं।  


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Wednesday, June 3, 2020

RAKSHA BANDHAN (रक्षा बंधन )


RAKHSA BANDHAN:-
Raksha Bandhan is widely known in Shravana month throughout full phase of the moon day or Purnima day.The best time to tie Rakhi on Raksha Bandhan is throughout Aparahna that is late afternoon in keeping with Hindu division of the day.
                 If Aparahna time isn't obtainable then Pradosh time is additionally appropriate to perform rituals associated with Raksha Bandhan.Raksha Bandhan rituals shouldn't be done throughout Bhadra.Bhadra is malicious time that ought to be avoided for all auspicious work.
                 Most Hindu spiritual texts, together with Vratraj, advise to avoid Bhadra time to tie Rakhi throughout Raksha Bandhan competition.It ought to be noted that Bhadra prevails throughout half of Purnima Tithi.Thence one ought to watch for Bhadra to induce over before beginning any auspicious work.In North India its customary to tie Rakhi within the morning which could not be appropriate time to try and do it.


                 This is good festival of Hidus brothers and sisters. They are fully enjoy with this festival. Once such info is definitely obtainable one ought to avoid ligature Rakhi throughout Bhadra.Some sources advise to avoid Bhadra Mukha and perform Rakhi ceremony throughout Bhadra Panchha if it's to be done throughout Bhadra in early morning.
रक्षा बंधन:-
रक्षा बंधन व्यापक रूप से श्रावण मास में चन्द्र दिवस या पूर्णिमा दिवस के पूरे चरण में जाना जाता है। रक्षा बंधन पर राखी बाँधने का सबसे अच्छा समय अपरान्ह भर है जो कि दिन के हिंदू विभाजन को ध्यान में रखते हुए दोपहर का होता है।
               यदि अपर्णा का समय प्राप्य नहीं है, तो प्रदोष का समय रक्षा बंधन से जुड़े अनुष्ठान करने के लिए भी उपयुक्त है। रक्षा बंधन पूरे भद्रा में नहीं किया जाना चाहिए। भद्रा दुर्भावनापूर्ण समय है जिसे सभी शुभ कार्यों के लिए टाला जाना चाहिए।



अधिकांश हिंदू आध्यात्मिक ग्रंथ, व्रतराज के साथ, रक्षा बंधन प्रतियोगिता के दौरान राखी बाँधने के लिए भद्रा के समय से बचने की सलाह देते हैं। काम। उत्तर भारत में सुबह के भीतर राखी बाँधने की अपनी प्रथा है जो इसे करने और करने के लिए उपयुक्त समय नहीं हो सकता है।


                 यह हिंदूज  भाइयों और बहनों का अच्छा त्योहार है। वे इस त्योहार के साथ पूरी तरह से आनंद लेते हैं। एक बार इस तरह की जानकारी निश्चित रूप से भद्रा में राखी से बांधने के लिए प्राप्त की जानी चाहिए। कुछ सूत्र भद्रा मुख से बचने के लिए सलाह देते हैं और भद्रा पंच में पूरे राखी का कार्य करते हैं यदि यह सुबह में भद्रा के दौरान किया जाता है।